जनसंचार में इंटरनेट की भूमिका को बताइए

विज्ञापन एवं प्रौद्योगिकी विकास के कारण आज हम घर बैठे अपने देश की ही नहीं वरन विश्व के किसी भी कोने तक अपना संदेश प्रेषित कर सकते हैं तथा वहाँ से संदेश भी प्राप्त कर सकते हैं तथा हाल के कुछ वर्षों में संचार प्रौद्योगिकी में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। इंटरनेट के तीव्र विस्तार के फलस्वरूप समाज, अर्थव्यवस्था व प्रशासनिक व्यवस्था व्यापक रूप से प्रभावित हुई है।


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इंटरनेट  

इसकी शुरुआत सन 1986 में हुई थी। उस समय अमेरिका में प्रतिरक्षा विभाग ने अपने दूरस्थ राज्यों तक आंकड़ों को विभिन्न विभागों तक भेजने व प्राप्त करने के लिए उपग्रहों एवं केवल नेटवर्कों का उपयोग किया था। बाद में कुछ पुस्तकालय और निजी संस्थान भी इससे जुड़ गए। बेल लैब्स ने इंटरनेट को फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है तथा इस क्षेत्र में उसके अनुसंधान आज भी जारी है।

पत्रकारिता में इंटरनेट एक अत्यधिक प्रभावशाली एवं गतिशील सम्प्रेषण माध्यम है। यह बहुत सारे कंप्यूटर का एक जाल है, जो कि उपग्रहों और केवल तार प्रणालियों, लैन (LAN)  और वैन (VAN) प्रणालियों तथा टेलीफोनों के द्वारा एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इंटरनेट में मुख्य रूप सूचना कंप्यूटर, टेलीफ़ोन, मोडम, क्षेत्रीय नेटवर्क या वृहत क्षेत्रीय नेटवर्क, उपग्रह संचार तथा केवल नेटवर्क आदि भाग होते हैं।

इंटरनेट और उससे सूचना एकत्रित करने के कार्य को सर्फिंग कहते हैं। इंटरनेट पर सूचनाएं डालने के लिए जिस सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है, उसे ब्राउज़र कहते हैं।


इंटरनेट सेवा का प्रारंभ अस्सी के दसक से ही हो गया था, किन्तु नब्बे के दशक के बीच इंटरनेट में हुए भारी विस्तार से कंप्यूटर जगत में तहलका मच गया। सूचना क्रांति के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इंटरनेट का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है।


 इंटरनेट के प्रयोग 

इंटरनेट के विभिन्न प्रयोग इस प्रकार हैं - 

(1). सूचनाओं का आदान-प्रदान :- इंटरनेट से किसी से संबंधित सूचना प्राप्त की जा सकती है एवं दी जा सकती है। इसके द्वारा चिकित्सा, जनसंचार, परिवहन, स्वास्थ्य, शोध कार्य आदि की सूचनाएं एवं आंकड़े सहजता से उपलब्ध हो जाते हैं।

(2). विपणन :- इंटरनेट विपणन अर्थात वस्तुओं या सेवाओं के क्रय-विक्रय में भी मदद करता है। वर्तमान में बहुत-सी कंपनियों, विभागीय स्टोर आदि क्रेडिट कार्ड द्वारा इंटरनेट के माध्यम से विक्रय करते हैं।

(3). विज्ञापन :- व्यावसायिक संगठन एवं पेशेवर इंटरनेट के माध्यम से विज्ञापन कराते हैं। इसके लिए उन्हें वेबसाइट, जो विज्ञापन सेवा उपलब्ध कराती है, को चुनना पड़ता है। वेबसाइट अपने साइट पर विज्ञापन के लिए व्यय वसूल करती है।


आज के युग में विज्ञापनों का अत्यधिक महत्व है। जूते चप्पल से लेकर टाई रूमाल तक विज्ञापित हो रही है। लिपिस्टिक, पाउडर, नेल पॉलिश, माथे की बिंदी विज्ञापनों का विषय है। नमक जैसी आम इस्तेमाल की वस्तुएँ भी विज्ञापनों से अछूती नहीं रह पायी है। विज्ञापन तैयार करने से पहले उद्यमी के दिमाग में यह बात स्पष्ट होती है कि उसका उपभोक्ता कौन है? और अपने विज्ञापनों में उद्यमी/विज्ञापन एजेंसी उसी उपभोक्ता समूह को संबोधित करती है। उस समूह की रूचि, आदतों, महत्वकांक्षाओं को लक्ष्य करके ही विज्ञापन की भाषा का चुनाव किया जाता है। भाषा के साथ विज्ञापनों का चित्रांकन भी अत्यंत प्रभावी ढंग से किया जाता है। विज्ञापन की भाषा अत्यंत प्रतिकात्मक होती है। विज्ञापन की भाषा में हास्य, लय, भय आदि का समावेश न कर लक्ष्य की प्राप्ति की जाती है। विज्ञापन की प्रभावी भाषा उसे ही माना जा सकता है जो मानवीय इच्छओं, भावनाओं एवं कामनाओं को स्पर्श करें।

(4). वर्तमान के लोग इंटरनेट के माध्यम से अपना व्योवसायिक एवं बैंकिंग कारोबार कर रहे हैं, जिसमें पी. सी. बैंकिंग, टेली बैंकिंग तथा मोबाइल बैंकिंग का प्रयोग मुख्य है।

 इस प्रकार आज सूचना प्रद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण आयाम है।

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