Fourth Generation Language in Hindi
फोर्थ जनरेशन लैंग्वेज (Fourth generation language in Hindi) की अवधारणा को 1980 के दशक से 1990 के दशक में विकशित किया गया था।
तकनीकी विकास के साथ-साथ language के एक नए समूह की खोज हुई, जिनसे कंप्यूटर के साथ अधिक सरल व मैत्रिपूर्ण तरीके से सूचना का दोहरा आदान-प्रदान करने हेतु user को लचीला बनाया। बाद में इन languages को fourth generation languages कहा गया। विस्तृत प्रक्रिया से गुजरे बिना ही सरलता से अंतिम परिणाम तक पहुँचना ही इन languages की मुख्य ताकत है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि fourth generation languages ने programming के non-procedural तरीके का समर्थन किया।
Fourth generation language और Human language एक दूसरे के काफ़ी करीब हैं High level language की तुलना में और एक programmer के रूप में देखा जाए तो यह बिना कोई formal training के लोगों के लिए सुलभ है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये machine language, assembly language और high level language से advance है और use करना भी बिलकुल सरल है।
इसे भी पढ़ें :