सत्य और अहिंसा - गांधी जी के विचारों के अनुसार
राष्ट्रपिता के रूप में ख्यातिलब्ध मोहनदास करमचंद गांधी राजनीति के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में निस्णात माने जाते हैं। देश और काल की सीमा को लाँघते हुए उनका व्यक्तित्व सार्वदेशिक और सार्वकालिक बन गया। वे दुनिया की महान विभूति के रूप में सम्मानित होते रहे । पूरे दुनिया को सत्य,अहिंसा, त्याग,अपरिग्रह आदि का पाठ उन्होंने पढ़ाया।
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परिचय
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 में गुजरात राज्य के पोरबन्दर नामक स्थान में हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा ग्रीह क्षेत्र में हुई, परंतु बैरिस्टरी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए वे विलायत गए । स्वदेश लौटकर उन्होंने वकालत शुरू की, परंतु सत्यनिष्ठ और राष्ट्रभक्त होने के नाते वे राष्ट्रीय आंदोलन में कूद पड़े। सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाकर उन्होंने अंग्रेजों से अहिंसात्मक लड़ाई लड़ी और राष्ट्र को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका निभाई । उनका स्वर्गवास 30 जनवरी 1948 को गोली लगने से हुआ।
सत्य क्या है ?
सत्य बोलना ही सत्य नहीं है वाणी में, विचार में और व्यवहार में भी सत्य होना असली सत्य है। वह जानने वाले को और कुछ जानना शेष नहीं रहता । यदि हम यह कसौटी मां लें तो हमें यह जानने में देर नहीं लगेगी कि कौन-सी प्रव्रीत्ति ठीक है और कौन-सी गलत।
सत्य ही आराध्य है ।
सत्य ही हमारा आराध्य है। इसी के लिए हमारा जीवन है, हमारी क्रियायें हैं। हमारी साँसे है। यदि हैम सत्य के लिए जीना सीख जाएँ तो शेष सभी नियमों का पालन सरल हो जाता है।
अहिंसा क्या है ?
किसी को न मारना ही अहिंसा है। अपितु अहिंसा का स्थूल रूप है। सुविचार, उतावली करना, झूठ बोलना, द्वेष करना, किसी का बुरा चाहना, संसार की आवश्यक वस्तुओं पर अपना कब्जा जमाना भी हिंसा है। तब सवाल है कि हम आत्महत्या कर लें ? नहीं। यदि विचार में इस देह का साथ छोड़ दें तो देह हमें छोड़ देगी। यह मोहरहित जीवन ही सच्चा सत्य है। देह को हम धरोहर मानकर उसका उपयोग करें।
साहित्य
गांधी जी एक कुशल अध्येयता, विचारक और साहित्य प्रेमी थे। उनकी "स्त्री शिक्षा", "हरिजन" 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग ' जैसी अनेक रचनाएँ लोकप्रिय हुई। "सादगी" ," स्वावलंबन आदि पर आधारित अनेक प्रेरणास्पद निबंध लिखकर उन्होंने पाठक समुदाय को जाग्रत किया।
गाँधी जी के अनुसार अहिंसा क्या है ?
गांधी जी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को कष्ट नहीं पहुँचाना ही अहिंसा है। अहिंसा का शाब्दिक अर्थ होता है --- हिंसा न करना, किसी को नहीं मारना। अहिंसा का मार्ग भले ही सरल दृष्टिगोचर होता है, परंतु इस पर चलना तलवार की तीक्षण धार पर चलने के समान है। इनके बिना मानव-जीवन की सार्थकता सिद्ध नहीं हो सकती।
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महात्मा गाँधी |
" सत्य के साथ शुद्ध ज्ञान होना आवश्यक है।"
'सत्य' शब्द सत से बना है। सत का अर्थ है - 'अस्ति'; सत्य अर्थात अस्तित्व। सत्य के सिवा दूसरी चीज की हस्ती नहीं है। परमेश्वर का सच्चा नाम सत अर्थात सत्य है। इसलिए परमेश्वर सत्य है। यह कहने की अपेक्षा सत्य ही परमेश्वर है, कहना अधिक उपयुक्त है। इस कारण परमेश्वर नाम अधिक प्रचलित है और रहेगा, लेकिन विचारने पर तो लगेगा कि सत्य ही सच्चा नाम है। यही पूरा अर्थ प्रकट करने वाला है।
सत्य के साथ शुद्ध ज्ञान आवश्यक है। जहाँ सत्य नहीं, वहाँ शुद्ध ज्ञान भी संभव नहीं है। इसलिए ईश्वर नाम के साथ 'चित्त' अर्थात ज्ञान शब्द की योजना हुई है और सत्य ज्ञान है,वहाँ अज्ञान होगा ही नहीं। चूँकि सत्य शाश्वत है,अतः आनंद भी शाश्वत होता है। इसी कारण हम ईश्वर को "सच्चिदानंद"नाम से पहचानते हैं।
सत्याचरण जीवन में अत्यावश्यक है। विचार और वाणी में जब इसका समावेश हो जाता है,तब हम ज्ञानी बन जाते हैं। संसार के सारे ज्ञान , वैराग्य,अनासक्ति, शिक्षा के बिना सत्य का कोई महत्व नहीं है। सत्य को देखने का नज़रिया पृथक-पृथक हो जाता है। लक्ष्य पर पहुँचकर वह हमें एक ही दिखाई देगा। सत्य एक तपश्चर्या है। इसके पालन के लिए आत्मकष्ट भी सहना पड़ता है,मर-मिटना होता है। सत्य वस्तुतः एक आराधना है।
"अहिंसा का रास्ता जितना सीधा है,उतना ही संकरा तंग है।"
महात्मा गाँधी का मानना है कि अहिंसा के मार्ग पर चलना खांडे की धार पर चलने के समान है। नट की पूरी नज़र उस डोर पर रहती है, जिस पर कदम रखते हुए उसे आगे बढ़ना है, अहिंसा की डोर नट की डोर से भी पतली है। इस डोर पर चलना अत्यंत दुष्कर कार्य है। सफल साधक ही अहिंसा की डोर पर चल सकता है। अहिंसा का मार्ग अपनाने का यह मतलब कदापि नहीं निकाला जाना चाहिए कि अन्याय एवं अत्याचार सहकर भी अहिंसा का पालन करें। अन्यायी एवं अत्याचारी की आत्मा को जीतकर हम उसमें परिवर्तन ला सकते हैं। अहिंसा कुविचार एवं उतावलापन है। मिथ्या भाषण, किसी का बुरा चाहना,प्राकृतिक वस्तुओं पर कब्जा आदि हिंसा की श्रेणी में आते हैं। इन सबका निषेध करके ही हम अहिंसा का मार्ग पर चल सकते हैं। जाजने-अनजाने हम बहुत से हिंसक कार्य कर जाते हैं,इस सबसे बचकर ही मनुष्यता की रक्षा की जा सकती है।
"अहिंसा के बिना सत्य की खोज असंभव है।"
गाँधी जी के अनुसार सत्य और अहिंसा दोनों गुण मानव को वास्तविक अर्थों में मानव बनाते हैं। जिस व्यक्ति में अहिंसा और सत्य के गुणों का समावेश हो जाता है। वह निरंतर सफलता प्राप्त करता चला जाता है। सत्य और अहिंसा का पालन करने में ही ईश्वरत्व की महिमा को समझना संभव है। इन गुणों के पालन से व्यक्ति में समरूपता, सहयोगी, मैत्री, करुणा, विनम्रता आदि के सद्गुण होते हैं। इएलिये सत्य और अहिंसा दोनों गुण एक-दूसरे पर अन्योन्याश्रित हैं। एक गुण को अपनाए बिना दूसरे की कल्पना भी नहीं कि जा सकती । गाँधी जी के विचार में सत्य यदि साधन है तो उसे प्राप्त करने का साधन अहिंसा है। यही परमेश्वर के साक्षात्कार का भी मार्ग है।
अहिंसा और सत्य आपस मे इतने गुंथे हुए हैं कि उन्हें एक-दूसरे से सुलझाकर अलग करना लगभग असंभव है। वे एक सिक्के के दो पहलुओं की तरह हैं। कौन कह सकता है कि यह उल्टा और और यह सीधा है। अहिंसा को गाँधी जी ने साधन इसलिए कहा है कि वह हमारी पहुँच के भीतर है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण, गौतम बुद्ध और महावीर ने अहिंसा को परम धर्म की संज्ञा दी है।
गाँधी जी अहिंसा को सर्वोच्च प्रकार की सक्रिय शक्ति भी मानते थे। उन्होंने अहिंसा की तुलना भीतर विराजमान भगवान से की है। वे लिखते हैं कि अहिंसा रेडियम की तरह काम करती है। रेडियम की छोटी-से-छोटी मात्रा भी किसी रुग्ण अंग के बीच में रख दी जाए तो वह लगातार चुपचाप और बिना रुके काम करती रहती है और अंत में सारे रोगग्रस्त अंग को निरोग बना देती है।
साध्य और साधन जिस प्रकार अलग नहीं किये जा सकते उसी प्रकार सत्य और अहिंसा को अलग नहीं किया जा सकता। इसके सत्य को जानने और प्राप्त करने के लिए अहिंसावाद का पालन करना आवश्यक है। ईश्वर की अनुभूति करने का भी मार्ग यही है इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह इस मार्ग से विचलित न हो। पल-पल की साधना से ही, इस मार्ग पर चल सकना संभव है। सत्य और अहिंसा का यह मार्ग तलवार की धार पर चलने के समान है। हमें इनको अपनाकर अपने जीवन को सफल और चरितार्थ करना चाहिए।
गाँधी जी ने सत्य की तुलना पारसमणि एवं कामधेनु से क्यों की है?
पारसमणि की यह विशेषता है कि उसके स्पर्श से लोहा भी सोना हो जाता है चाहे वह किसी भी प्रकार का क्यों ना हो। इसी प्रकार कामधेनु देवताओं की उस गाय को कहा गया है जो उसको सेवा करने वाले व्यक्ति को सभी इच्छाओं और कामनाओं को पूरा करती है। सत्य का मनसा, वाचा, कर्म का पालन करने में भी व्यक्ति की सभी इच्छाएँ और कामनाएँ पूरी हो जाती है। पर सत्य का पालन निरंतर अभ्यास और वैराग्य से ही हो सकता है। वैराग्य को स्पष्ट करते हुए गाँधी जी लिखते हैं कि सांसारिक वस्तुओं से उदासीन हो जाना ही वैराग्य है।
महात्मा गाँधी जी ने सत्य की तुलना जैन दर्शन के प्रमुख सिद्धांत अनेकान्तवाद से की है। अनेकान्तवाद के अनुसार किसी भी वस्तु का रूप प्रत्येक प्राणी को भिन्न-भिन्न रूप में दिखाई पड़ता है।
सत्य की खोज करना सरल नहीं है। बिना हरि तपस्या के सत्य दर्शन नहीं होते। निःस्वार्थ साधक की सत्य को खोज कर सकता है, क्योकि निःस्वार्थ व्यक्ति कभी भी बुरे मार्ग पर नहीं जा सकता। यही गया भी तो ठोकर खाकर फिर से सत्मार्ग पर आ जाता है।
सत्य के मार्ग पर चलने वाला कभी भी पराजित नहीं होता। यह जीने का महामंत्र है पर सत्य को आचरण में उतारना सिर हथेली पर रखकर चलने के समान है। सत्य के परिपालन से ही ईश्वरत्व एवं मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। सत्य की आराधना ही ईश्वर भक्ति है।
सत्य पालन करने वाले महापुरुषों में गांधी जी ने सत्यवादी महाराजा हरिश्चन्द्र, भक्त प्रह्लाद,मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, इनाम हसन, हुसैन, ईसा मसीह आदि के उदाहरण दिए हैं पर सत्यव्रती होने के लिए इन महापुरुषों को अनेक कस्ट सहने पड़े। यहाँ तक कि प्राणों का बलिदान देने के लिए भी इन्हें तैयार रहना पड़ा। सत्य की महत्ता और उसके शुभ परिणाम की चर्चा करते हुए गाँधी जी ने सत्यरूपी परमेश्वर की तुलना पारसमणि तथा कामधेनु से की है।
आपने क्या सीखा?
इस लेख में महात्मा गांधी जी की छोटे रूप में जीवन परिचय और महात्मा गांधी के अनुसार सत्य और अहिंसा क्या है और उनकी सोच सत्य और अहिंसा को लेकर क्या थी ? यह बताया गया है। मुझे उम्मीद है कि आप इस लेख को पढ़कर गांधी जी के सत्य और अहिंसा को लेकर जो विचार थे आपको भी आई होगी। क्योंकि इस लेख में यह भी बताया गया है कि सत्य के ज्ञान का शुध्द होना भी आवश्यक है और अहिंसा के बिना सत्य की खोज असंभव है।
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nice information
ReplyDeleteThanks
DeleteApka bahut bahut dhanyawad apne satya aur ahinsa ko bahut hi achchhi tarike se samjhaya hai.
ReplyDeletethank you
Deletewell explained
ReplyDeletethank you
DeleteNice content
ReplyDeleteThanks
DeleteThank you
ReplyDelete😊👍👍
DeleteGood information
ReplyDeleteThanks..👍
DeleteThanks
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