वर्षा किसे कहते हैं, वर्षा के प्रकार

वर्षा हमारे मानव जीवन के लिए बहुत महत्व है। पानी के बिना मानव जीवन संभव नहीं है। इस लेख में हम वर्षा किसे कहते हैं, वर्षा के प्रकार और इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानेंगे।

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वर्षा किसे कहते हैं

पृथ्वी पर लगभग 75℅ पानी और 25℅ जमीन है। सूरज की गर्मी के कारण जब पृथ्वी पर उपलब्ध पानी मॉनसून गर्म हवाओं के साथ भाप बनकर वायुमंडल में जाता है जहाँ तापमान कम होने के कारण भाप पानी या बर्फ में बदल जाते हैं। जब ये पानी किसी जगह पर ऊपर से नीचे गिरते है तो इस प्रक्रिया को वर्षा कहा जाता है।

वर्षा किसे कहते हैं, वर्षा के प्रकार
वर्षा 

वर्षा होने के लिए सबसे पहले गर्म हवाएँ जो ठंडी हवाओं से हल्की होती है, नमी के साथ ऊपर उठती है। वायुमंडल में ऊपर जाने पर तापमान घटता है और बादल का रूप ले लेती है और हवाओं में Condensation होने लगता है। इस process में, हवा में मौजूदा भाप पानी का रूप लेने लगता है। जब यह अधिक हो जाता है तो पानी की बूंदों के रूप में नीचे गिरते हैं। 


वर्षा के प्रकार

वर्षा के तीन प्रकार होते हैं- 
  • सवहनीय वर्षा (conventional Rain)
  • पर्वतीय वर्षा (Orographic Rain)
  • चक्रवाती वर्षा (Cyclonic Rain)

सवहनीय वर्षा (conventional Rain)

सवहनीय वर्षा की उत्पत्ति गर्म और humid हवाओं के कारण होता है। इस प्रकार की वर्षा equatorial regions में होती है। इस क्षेत्र में अधिक तापमान और humidity होती है। यह माना जाता है कि अधिक तापमान और humidity होने के कारण दोपहर तक (2 से 3 बजे तक) घनघोर बादल छा जाते हैं और वर्षा होने के बाद आसमान साफ हो जाता है। 

पर्वतीय वर्षा (Orographic Rain)

पर्वतीय वर्षा में गर्म हवा भाप (water vapour) के साथ बहती हुई किसी पर्वत या पठार पर टकराते हुए ऊपर की ओर उठती है तो उसमें तापमान कम होने लगता है और हवाओं में condensation process होने लगती है और वर्षा होती है।  पर्वतीय वर्षा ऐसे क्षेत्र में अधिक होती है जहाँ समुद्र तट के पास तथा उसके समांतर (parallel) हो।

किसी पर्वत के जिस पर्वतीय ढाल या क्षेत्रों में वर्षा होती है उसे पवनाभिमुख क्षेत्र कहते हैं। जबकि उसी पर्वत के दूसरी ओर वर्षा नहीं होती उस क्षेत्र को वृष्टि छाया प्रदेश कहा जाता है।

भारत में जब सबसे पहले पश्चिमी मानसून (monsoon) आती है तो पश्चिमी ढलान (Western Ghats) कारण केरल जैसे प्रदेश में पहले वर्षा होती है और तमिलनाडु और कर्नाटक में वर्षा नहीं हो पाती है। कावेरी नदी दोनों राज्य को होते हुए बहती है वहाँ के किसान सिंचाई के लिए ज्यादातर इसी नदी के पानी पर निर्भर हैं।

जब दक्षिण पूर्व मॉनसून (monsoon) चलता है तो बीच में अरावली पर्वत आ जाती है जिसके कारण राजस्थान के कुछ क्षेत्र में वर्षा होती है और दूसरे क्षेत्र में दक्षिण पूर्व मॉनसून के कारण नहीं हो पाती है।

इसी प्रकार उत्तर की ओर हिमालय पर्वत है जिसके कारण लद्दाख (Ladakh) में वर्षा नहीं हो पाती है। 

चक्रवाती वर्षा (Cyclonic Rain)

जब ठंडी हवा और गर्म हवा आपस में टकराती हैं तो ठंडी हवा भारी होने के कारण अपना रास्ता नहीं छोड़ती पर गर्म हवा ऊपर उठने लगती है। गर्म हवा में humidity होने के कारण ऊपर उठने पर बादल बनते हैं और वर्षा होती है, इस प्रकार के वर्षा को चक्रवाती वर्षा कहते हैं।

वर्षा का महत्व

"जल ही जीवन है " इस कथन में कोई संदेह नहीं है कि जल के बिना मानव जीवन संभव नहीं है। वर्षा भी पानी का स्रोत है, वर्षा होने से नदी, तालाब, झील, नहर आदि में पानी भरने लगते हैं जिसे बाद में सिंचाई के प्रयोग में लाया जा सकता है। ऐसे क्षेत्र जहाँ वर्षा बहुत कम होती है उस जगह पर Rain water Harwesting करके पानी को रखा जाता है जिसे बाद में सिंचाई व साफ करके पीने योग्य पानी तैयार किया जाता है। वर्षा ऋतु के शुरू होते ही किसान खेतों में निकल पड़ते हैं। धान की खेती सबसे ज्यादा वर्षा ऋतु में ही की जाती है।

वर्षा ऋतु शुरू होते ही कई सारे जीव जंतु बाहर आने लगते जो भीषण गर्मी के समय में जमीन के अंदर छिपे होते हैं। गांव के आस पास का इलाका हरियाली से भर जाता है। कई सारे छोटे छोटे घास, पौधे उगने लगते हैं जिसे गाय, भैंस, भेंड़ बकरी आदि जानवरों के लिए भोजन का काम आता है।

वर्षा होने से गर्मी के मौसम के भीषण गर्मी से तो राहत मिलती ही है और इसके साथ साथ ground water level बढ़ता है जिससे पीने के लिए पानी बोरिंग, बोर, कुआँ से आसानी से मिल सकता है। जिसे खेती में सिंचाई के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

वर्षा के नुकसान

अगर देखा जाए तो वर्षा से कभी भी नुकसान नहीं होता है पर किसी एक जगह पर अधिक वर्षा होने लगे तो उस जगह पर निम्न नुकसान हो सकते हैं -

बाढ़

हर साल कहीं न कहीं बाढ़ आने की खबर मिलती है। बाढ़ से कई नुकसान हो सकते हैं -
  • बाढ़ के कारण कई लोगों और पालतू पशुओं के जान जाने ख़तरा बना रहता है। 
  • घर, पूल, पेड़ आदि का गिरना।
  • खेती ख़राब होना।
  • लंबे समय तक ऐसी स्थिति होने से खाने पीने की कमी हो सकती है।
  • आने जाने में परेशानी।
बाढ़ से बचने के लिए जलनिस्सारण (Drainage) का निर्माण होना चाहिए।

बीमारियों का फैलना

वर्षा ऋतु के समय सावधानी नहीं बरतने से कई बीमारियाँ हो सकती है जैसे- सर्दी, खाँसी, बुखार आना, डायरिया, टाइफाइड आदि।
  • वर्षा ऋतु में भीगने से बचें।

मृदा अपरदन (soil erosion)

मृदा अपरदन का मतलब ये है कि किसी जगह पर मिट्टी (जमीन) का अलग हो जाना। यह सबसे ज्यादा पहाड़ी इलाकों में देखा जाता है। अधिक वर्षा होने के कारण किसी एक जगह की मिट्टी पानी के साथ बह जाती जाती है। 

बिजली गिरना

तेज वर्षा के समय कभी कभी बिजली गिरने का भी ख़तरा बना रहता है। इसलिए ऐसे वक्त में बाहर न निकलें और पहले से बाहर हैं तो किसी सुरक्षित जगह पर रुकें। पेड़ के नीचे और बिजली conduct करने वाले समान के पास से दूर रहें।

वर्षा कम होने का कारण

अभी के आधुनिक समय में वर्षा कम होने का कारण निम्न है -

वनों की कटाई : समय के साथ साथ लोगों की जनसंख्या में वृद्धि होती आ रही है। वर्षा होने के लिए पेड़ पौधों का भी योगदान रहता है। जिस क्षेत्र में अधिक पेड़ पौधे होते हैं उस क्षेत्र में वर्षा भी अधिक होती है। कई सारे पेड़ पौधों से भरे इलाकों को काटकर मनुष्य अपने सुविधा अनुसार घर, कारखाना आदि बना रहा है।

प्रदूषण : प्रदूषण के कारण कई इलाकों में वर्षा कम होने लगी है। एक अध्ययन के अनुसार बढ़ते प्रदूषण के कारण monsoon हवाओं में तापमान की गिरावट देखने को मिली है। प्रदूषण के कारण ही कई बार अम्लीय वर्षा (Acid rain) देखने को मिलती है।

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बढ़ती जनसंख्या : जनसंख्या बढ़ने से हर चीज की आवश्यकता भी बढ़ रही है। जैसे जितना ज्यादा कार उतना ज्यादा प्रदूषण। इसी तरह और भी कई कारण हैं जिनकी वजह से पृथ्वी का तापमान बढ़ रही है और इसी के साथ मॉनसून हवाओं में भी कई बदलाव (तापमान) होने से वर्षा में कमी हुई है।

उपाय

छोटे रूप में सही पर शायद वर्षा कम होने के कारण को कम करने के लिए हर साल पेड़ लगाएँ, अनावश्यक पानी का इस्तेमाल न करें, अपने आस पास साफ सफाई बनाएँ रखें, इससे जुड़ी बातों को बताकर लोगों को जागरूक बनाएँ।

मोबाइल से मौसम का हाल कैसे जानें?

वर्षा ऋतु या किसी भी मौसम में यदि आपको अपने गाँव का मौसम कैसे देखें या वर्षा का पता कैसे लगाएँ के बारे में जानना चाहते हैं तो इसे मोबाइल से आसानी से पता लगाया जा सकता है।

अगर आप यह लेख पढ़ रहे हैं तो जाहिर है आपके पास मोबाइल (android) तो जरूर होगा। मोबाइल में पहले से weather नाम का app दिया जाता है जहाँ आपने location का नाम डालकर मौसम के बारे में पता कर सकते हैं। इसमें 5 दिन का मौसम के बारे में अनुमान लगाकर बताया जाता है।

वर्षा से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण सवाल

1. भारत में सबसे अधिक वर्षा कहाँ होती है?

  • भारत में सबसे अधिक वर्षा होने वाली जगह मासिनराम है जो मेघालय राज्य में है। ये जगह भारत में ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया में सबसे अधिक वर्षा होने के लिए जाना जाता है।

2. वर्षा ऋतु के महीनों के नाम बताएँ?

  • जुलाई, अगस्त और सितंबर

3. वर्षा का लिंग क्या है?

  • स्त्रीलिंग

4. वर्षा का विलोम शब्द क्या है?

  • सूखा

5. वर्षा का पर्यायवाची शब्द क्या क्या है?

  • बारिश, बरसात, पावस , मानसुन आदि।


Conclusion

इस लेख में मैंने वर्षा किसे कहते हैं, वर्षा के प्रकार और इसके साथ साथ वर्षा ऋतु के लाभ और इसके नुकसान और इससे कैसे बचा जाए कि बारे में बताया है। यदि आपको लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ एक बार जरूर शेयर करें और यदि आप वर्षा कैसे होता है इससे संबंधित कुछ बात कहना चाहते हैं तो कमेंट करें।

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